पन्नो में सिमटी सी एक याद हो तुम ,
जिसे पाने की अक्सर किया करती हूँ ,
वो फरियाद हो तुम !
रात का आखिरी ,
सुबह का आखिरी ख्याल हो तुम !
ख्वाबों में भी जिसे पाकर मुस्कुरा दिया करती हूँ मैं,
एसा छुपा अन्छुपा सा राज़ हो तुम !
Kuch Nazm Kuch Khyaal / कुछ नज़म कुछ ख्याल
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