सुधीर की कविताएं ,कविता के बने बनाये फॉर्म को तोड़ती नज़र आती है।सुधीर ने कविता के शिल्प के नये प्रयोगों के साथ,नये बिम्ब,शैली को आविष्कृत करती हुई जटिल संरचना वाली कुछ सरल एवं बहुआयामी कविताएँ लिखी हैं। यहाँ कविताएँ कलात्मक स्तर पर सघन एवं सौंदर्यवान है।
इस कविता संग्रह से गुजरते हुए पाठक कविताओं की पृष्ठभूमि में पार्श्व संगीत की तरह प्रेम,विरह की अनुगूँज अनवरत सुनता रहता है।कवि के शब्दों में- मुझे याद आ रही है तुम्हारी/और मैं बीच रास्तें से लौट आया हूँ अपने घर/जैसे कि तुम्हारा और मेरा घर एक ही है।
सुधीर की कविताएँ सौंदर्य,प्रेम,मासूमियत और ललक की ऐसी सुगंध समेटे हुए होती है जैसे पेड़ पर लदे कच्चे फलों से आती सुगंध जो कच्चेपन की मिठास से लदी हुई है।
..गौरव गुप्ता
कवि,लेखक,अनुवादक,टिपण्णीकार
Dukh ka utsav / दुख का उत्सव
सुधीर डोंगरे
जन्म - 21मार्च 1998
आत्मज -अनीता डोंगरे
सुनील चौहान(मामाजी)
शिक्षा- बी.ए,
बरेलीपार माल, पोस्ट -उड़ेपानी(4480990)
जिला -सिवनी (मध्यप्रदेश)
ई-मेल-dongresudhir287@gmail.com